दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे कपिल मिश्रा रविवार को टैंकर घोटाले को लेकर कोई बड़ा खुलासा करने वाले थे। लेकिन, इसके पहले ही उन्हें केजरीवाल सरकार ने मंत्री पद से हटा दिया। केजरीवाल को इस फैसले को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। सवाल ये कि आखिर टैंकर घोटाले में केजरीवाल किसे बचाना चाहते हैं। जानें इस टैंकर घोटाले की पूरी कहानी।
दिल्ली के कई इलाकों में अभी तक पीने के पानी की पाइप लाइन नहीं पहुंची है। ऐसे इलाकों में पानी सप्लाई के लिए सरकार ने वाटर टैंकर डिस्ट्रीब्यूशन एंड मैनेजमेंट सिस्टम नाम से एक योजना बनाई थी। 2011 की इस योजना में टैंकरों के जरिए अनॉथराइज्ड कॉलोनियों में पानी पहुंचाया जाना था।
इस योजना के मुताबिक स्टैनलेस स्टील के टैंकर मंगाए जाने थे, जो जीपीएस से लैस होने थे और इसके ज़रिए हर गली के लिए एक निश्चत अंतराल में टैंकर पहुंचाने की योजना थी।
गड़बड़ी के आरोप दो स्तरों पर लगाए गए- पहला योजना तैयार करने के लिए कसंल्टेंट की नियुक्ति में और डिस्ट्रीब्यूशन के लिए टैंकर मुहैया कराने वाली कंपनियों को कॉन्ट्रेक्ट देने में।
-रिपोर्ट के मुताबिक, वाटर टैंकर डिस्ट्रीब्यूशन एंड मैनेजमेंट सिस्टम के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्मार्ट गवर्नमेंट और दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टीमॉडल ट्रांजिट सर्विसेस नाम की दो कंपनियों को कंसल्टेंट नियुक्त किया गया। आरोप है कि इसके लिए किसी तरह की बिडिंग नहीं की गई और नॉमिनेशन के आधार पर ही इनकी नियुक्ति कर दी गई। ऐसा करना सीवीसी और कैग की गाइडलाइन का उल्लंघन है।