बिजली, पानी, सड़क पर भारी न पड़ जाए किसानों की कर्जमाफी, समझिए कर्जमाफी का अर्थशास्त्र

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योगी आदित्यनाथ
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योगी सरकार ने पहली कैबिनेट में किसानों की कर्जमाफी का वादा पूरा करने की कोशिश की। इस फैसले से सरकार पर करीब 36,395 करोड़ रुपये का बोझ आएगा। सरकार भले ही यह कर्ज बॉन्ड लेकर चुकता करेगी, मगर इतनी बड़ी रकम कर्जमाफी में जाने से प्रदेश के विकास पर असर पड़ना तय है। क्योंकि इतनी बड़ी रकम का भुगतान राज्य सरकार खुद अपने संसाधनों से करेगी। साथ ही इस रकम के ऊपर भारी भरकम ब्याज भी चुकाएगी।

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आंकड़ों की बात करें तो राज्य सरकार जितनी धनराशि का बजट पेश करती है, उसका करीब 60 प्रतिशत हिस्सा सरकारी विभागों के वेतन में चला जाता है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने से सरकार के खजाने पर 25,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ आएगा। पिछले वित्त वर्ष में राज्य सरकार ने करीब 3.60 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया था। इसका करीब 65 प्रतिशत हिस्सा कर्मचारियों के वेतन में चला जाता है। सरकार को बची करीब 35 प्रतिशत धनराशि में ही विकास कार्य, देनदारी सब पूरा करना होता है।

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अब राज्य सरकार के खजाने पर करीब 36,395 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ और आ गया है। इसलिए सड़क, बिजली, पानी और जनकल्याण से जुड़ी सुविधाओं पर खर्च करने का स्कोप सरकार के सामने कम होगा। नई सरकार के लिए चिंता की बात यह भी है कि पिछली सरकार ने एक्सप्रेस-वे, मेट्रो जैसी परियोजनाएं पूरा करने के लिए भी भारी कर्ज लिया था। इसके ब्याज का भुगतान भी करना होगा। यह भी सरकार को अपने संसाधनों से ही करना है।

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