अमर सिंह ने बताया कि राजनीति में दो तरह के नेता होते हैं। एक वो जिन्हें जनता का विश्वास हासिल होती है और दूसरे वह जिनको पार्टी के टॉप लीडर्स का भरोसा प्राप्त होता है। उन्होंने प्रणब मुखर्जी और अरुण जेटली का उदाहरण देते हुए कहा कि प्रणब इंदिरा गांधी के करीबी थे। जबकि अरुण जेटली 2014 लोकसभा चुनाव में हारने के बाद भी मोदी सरकार में मंत्री हैं।
उन्होंने ऐसा ही कुछ रिश्ता अपने और मुलायम सिंह यादव के बीच बताया। उन्होंने कहा कि वह मुलायम सिंह यादव की वजह से हैं और मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी की वजह से। अगर ऐसा कोई सोचता है कि पार्टी किसी की बपौती है, तो वह मुगालते में जी रहा है।
अमर सिंह ने कहा कि 2008 में कांग्रेस को समर्थन देने की भूल उनसे हुई और वह इसे दोहराना नहीं चाहेंगे। उन्होंने कहा कि इस बार वह किसी फैसले या राजनीतिक इच्छा को किसी नेता पर थोपना नहीं चाहूंगा। इस बार वह मुलायम सिंह यादव के आदेश का पालन करेंगे और चुनाव प्रचार के दौरान भी अपना रवैया पूरी तरह बदल लेंगे। उन्होंने कहा कि मैं मुलायम सिंह यादव से अपने रिश्तों में कोई दरार नहीं चाहता इसलिए उनकी इच्छा के खिलाफ कोई भी काम नहीं करूंगा।
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