बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने यूपी चुनाव के दौरान अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए कहा था कि यूपी में काम नहीं बल्कि कारनामा बोलता है। अमित शाह के इस बयान में कहीं न कहीं सपा सरकार में गुंडागर्दी, परिवारवाद और कानून व्यवस्था को लेकर बड़े सवाल छिपे थे। अब बीजेपी के ही कुछ नेताओं का तर्क ये भी है कि सूबे में बीजेपी की जीत के बाद ऐसा परिवर्तन हुआ कि 17 दिनों से पुलिस से खुद को छिपाने वाले गैंगरेप के आरोपी प्रजापति को भी पुलिस ने ढूंढ निकाला और गिरफ्तार कर लिया। कहीं न कहीं यहां बीजेपी राज्य में दुरुस्त कानून व्यवस्था की तरफ इशारा कर रही है। लेकिन क्या यूपी में ऐसा हो पाएगा ? ये एक बड़ा सवाल है। इसे समझने के लिए आपको ये खबर पूरी पढ़नी होगी।
उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई भाजपा सीएम चेहरे की तलाश में उलझी हुई है। माना जा रहा है कि 20 मार्च के आसपास यूपी में नई सरकार का गठन हो सकता है। मुख्यमंत्री के साथ मंत्रीपद के लिए जिन 30 नामों की चर्चा है, उनमें कई ऐसे भी हैं जिनके काम नहीं ‘कारनामे’ बोलते हैं। एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, इन 30 नामों में कइयों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। कौन-कौन है वो नाम..जिसने काम से ज्यादा कारनामों की चर्चा रही है। बावजूद इसके वो बीजेपी की हिट लिस्ट में शुमार हैं और बहुत मुमकिन है कि बीजेपी सरकार में उन्हें बड़ा पद और जिम्मेदारी दी जाए। तो आप भी एक-एक नाम के बारे में पढ़ें, जिनके दामन में दाग लगे हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य
यूपी चुनाव से पहले बसपा छोड़ भाजपा में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य पडरौना से विधायक चुने गए हैं। उन्हें मंत्रीपद दिए जाने की पूरी संभावना है। स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 307, 332, 353 और 336 के तहत आपराधिक मामले दर्ज हैं।
फागू चौहान
फागू चौहान घोषी विधानसभा सीट से विधायक हैं। उन्होंने बाहुबली मुख्तार अब्बास नकवी के बेटे व बसपा प्रत्याशी अब्बास अंसारी को कड़े मुकाबले में हराया। भाजपा सरकार में उन्हें भी मंत्री बनाए जाने की चर्चा है। फागू पर आईपीसी की धारा 143, 436, 427, 379, 440, 504, 506 आपराधिक मामले दर्ज हैं।
कृष्णा पासवान
फतेहपुर जिले की खागा विधानसभा सीट से कृष्णा पासवान भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए हैं। भाजपा सरकार में उन्हें भी मंत्रीपद से नवाजा जा सकता है। कृष्णा पर आईपीसी की धारा 147, 149, 332, 353, 333, 336, 342, 152, 153 और 283 के तहत मामले दर्ज हैं।
ओम प्रकाश राजभर
ओम प्रकाश राजभर गाजीपुर जिले की जहूराबाद विधानसभा से निर्वाचित हुए हैं। उनको भी मंत्रीपद दिए जाने की चर्चा जोरों पर है। राजभर सुहेलदेव पार्टी से विधायक चुने गए। उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 143, 147, 148, 452, 323, 336, 353, 504, 506, 427 और 341 के खिलाफ मामले दर्ज हैं।
सतीश महाना
कानपुर जिले की महाराजपुर विधानसभा सीट जीते भाजपा विधायक सतीश महाना का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए भी लिया जा रहा है। माना जा रहा है कि अगर वह सीएम नहीं बने तो मंत्री जरूर बनेंगे। सात बार विधायक रह चुके सतीश महाना पर आईपीसी की धारा 125/127A (4) के तहत मामला दर्ज है।
36 फीसदी दागी विधायक पहुंचे विधानसभा
इतना ही नहीं एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, 402 विधायकों के हलफमाने के मुताबिक, चुने गए 402 विधायकों में से 36 फीसदी यानी 143 विधायकों के खिलाफ घोषित रूप से केस दर्ज हैं। इनमें 107 विधायकों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जो कुल विधायकों का 26 फीसदी है। इनमें से आठ विधायकों के खिलाफ हत्या और 34 विधायकों के खिलाफ हत्या की कोशिश का मामला दर्ज है। इनमें सभी दलों प्रमुख दलों के विधायक शामिल हैं।
ऐसे में उत्तरप्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद आप यहां कानून व्यवस्था का अंदाजा आसानी से लगा सकते हैं। बहरहाल देखना दिलचस्प होगा कि अगले पांच साल यूपी में काम बोलता है या फिर कारनामा बोलता है।