पश्चिम पाक हिंदुओं को पहचान दस्तावेज देने के मुद्दे पर जम्मू कश्मीर में एक नया ही विवाद शुरू हो गया है। जिसके चलते राज्य के क्षेत्रीय और धार्मिक मांग पर बंटने का खतरा पैदा हो गया है। अलगाववादी और मुख्य विपक्षी पार्टियां राज्य सरकार पर गठबंधन पर शरणार्थियों को सर्टिफिेकेट देकर राज्य से जुड़े कानूनों को खत्म करने करन का आरोप लगा रही है।
वहीं जम्मू में नेताओं का कहना है कि रोहिंग्या मुसलमानों को बसाने का कदम क्षेत्र की जनसांख्यिकी का बदलने का प्रयास है। सरकार ने इस पर बचाव में कहा है कि पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थी जिनमें लगभग सभी हिंदू हैं वे बंटवारे के वक्त जम्मू कश्मीर आए थे और यह मसला नॉन स्टेट सब्जेक्ट है। सरकार के प्रवक्ता और शिक्षा मंत्री नईम अख्तर ने बताया, “हम उन्हें केवल पहचान दस्तावेज दे रहे हैं जिससे कि उन्हें पैरामिलिट्री फॉर्सेज और भारत सरकार के अन्य संस्थानों में नौकरी मिलने में मदद हो सके।”
कश्मीर के सोपोर कस्बे में पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों के मुद्दे पर शुक्रवार की नमाज के बाद हिंसक प्रदर्शन हुए थे। भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े और लाठियां बरसानी पड़ीं। जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट चेयरमैन यासिन मलिक को श्रीनगर में हिरासत में लिया गया, वहीं हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूक ने पुराने श्रीनगर में प्रदर्शन किया।
अगली स्लाइड में पढ़ें खबर का बाकी अंश