दिल्ली: राकांपा प्रमुख शरद पवार ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और अन्य समुदायों के आरक्षण में कोई परिवर्तन किए बिना मराठा समाज के लिए आरक्षण की वकालत की।
महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन शुरू होने के बाद पहली बार प्रधानमंत्री से अपनी मुलाकात के दौरान पवार ने कहा कि समुदाय के लोगों को उन सुविधाओं की जरूरत है जो अन्य कमजोर तबके के लिए उपलब्ध हैं क्योंकि ‘‘मराठों का एक बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।’’ बैठक के बाद पवार ने बताया कि उन्होंने इस अहम मुद्दे पर संसद में समन्वित कार्रवाई शुरू करने का आग्रह किया, जो राज्य और केंद्र सरकार दोनों से जुड़ा हुआ है।
नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग को उठाने के लिए मराठा क्रांति मोर्चा के तत्वावधान में आयोजित मौन जुलूसों ने राज्य की राजनीति को हिला कर रख दिया है और बड़े नेता ‘‘इंतजार करो और देखो’’ की नीति अपनाए हुए हैं।
बैठक के दौरान पवार ने गन्ना किसानों और चीनी उद्योग से जुड़े मुद्दे भी उठाये।
पवार ने अपने खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग करने के लिए महाराष्ट्र के मंत्री महादेव जानकर की आलोचना की लेकिन लोगों और खासकर राकांपा कार्यकर्ताओं से संयम बरतने और कानून अपने हाथ में नहीं लेने की अपील की।
इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हर कोई ‘सुसंस्कृत’ मंत्री के खिलाफ कार्रवाई शुरू किये जाने की प्रतीक्षा कर रहा है।’’