पिछले साल 2016 में ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के स्थापना दिवस के मौके पर दिल्ली के यमुना तट पर आयोजित प्रोग्राम की वजह से डूब क्षेत्र को हुए भारी नुकसान की खबरों पर रविशंकर प्रसाद ने इसका ठीकरा राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के साथ केंद्र व दिल्ली सरकारों पर फोड़ा है। उन्होंने मंगलवार(18 अप्रैल) को कहा कि अगर कार्यक्रम को आयोजित करने से कोई नुकसान हुआ है तो इसके लिए राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के साथ केंद्र व दिल्ली सरकारों पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए।
साथ ही उन्होंने कहा कि, अगर यमुना ‘इतनी ही नाजुक और शुद्ध थी’ तो अधिकारियों को विश्व संस्कृति महोत्सव की इजाजत नहीं देनी चाहिए थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रविशंकर ने कहा कि ऑर्ट ऑफ लिविंग ने एनजीटी सहित सभी जरूरी इजाजत ली थी। इसमें कहा गया, “एनजीटी के पास आवेदन की फाइल दो महीने तक थी और वे इसे शुरुआत में ही रोक सकते थे।
जनाता का रिपोर्टर की खबर के मुताबिक, यह प्राकृतिक न्याय के सभी सिद्धांतों की अवहेलना है कि आप इजाजत देते हैं और किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं होने पर भी जुर्माना लगा देते हैं।” उन्होंने कहा, “यदि यमुना इतनी ही नाजुक और शुद्ध थी, तो उन्हें शुरुआत में ही विश्व संस्कृति उत्सव को रोक देना चाहिए था।
साथ ही उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम की प्रशंसा की जानी चाहिए थी लेकिन ऐसा लग रहा है जैसे कोई अपराध कर दिया गया है। रविशंकर ने कहा कि उस समारोह ने हवा, पानी व भूमि किसी को प्रदूषित नहीं किया।
अगली स्लाइड में पढ़ें बाकी की खबर