‘जलवा जिसका कायम है, उसका नाम मुलायम है’ का राजनीतिक सफर अंतिम पड़ाव में, पढ़िए पूरा घटनाक्रम

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इस बारे में अंबिकानंद सहाय कहते हैं, “समाजवादी पार्टी में नए साल के पहले दिन जो हुआ है, उसने साफ़ कर दिया है कि अखिलेश समाजवादी किंगडम के निर्विवाद राजा हैं।”

अंबिकानंद सहाय के मुताबिक एक बाप आख़िरकार यही चाहता है। अपनी ही बनाई पार्टी में मुलायम सिंह के बेदखल किए जाने को भी वे नुकसान का सौदा नहीं मानते हैं।

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वे कहते हैं, “मुलायम ने पहले अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाया था। मुख्यमंत्री बनाना आसान है, लेकिन इस नए विवाद से उन्होंने अपने बेटे को नेता के तौर पर स्थापित कर दिया।”

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वहीं शशि शेखर का मानना है कि इससे पार्टी को नुकसान होगा। वे कहते हैं, “अब तक मुलायम सिंह समाजवादी पार्टी की वैसी ताक़त रहे हैं, जिनकी धुरी के इर्द-गिर्द चीज़ें घूम रही थीं। अब दो धुरियां बन गई हैं और नए समीकरण बन गए हैं, मेरे ख़्याल से चुनाव से पहले ये पार्टी की लिए अच्छी स्थिति तो नहीं है।”

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